नागपुर की देशद्रोही रानी !
आज़ादी से पहले हमारा यह भारत देश 565 रियासतों में बटा हुआ था। इन्हीं में से एक रियासत "नागपुर " थीं। "नागपुर " रियासत पर 1853 में राघोजी भोंसले का शासन हुआ करता था। राघोजी भोंसले के अंग्रेजों से स्नेहपूर्ण संबंध थे। अंग्रेजों से नजदीकी या स्नेह ही सबके नाश का कारण बना था। जिसे भी यह ज्ञात था कि अंग्रेज हमारे दुश्मन है वे बच गए परन्तु जिसने भी यह माना कि अंग्रेज हमारे हितैषी है, उनकी गर्दन मीठी छुरी से कटी। एसा आप पिछले लेख अवध को भारी पड़ी अंग्रेजों की दोस्ती! और वह राजा जिसे अंग्रेजों से मिलती थी 8 लाख रुपये पेंशन! मे पढ़ ही चुके हैं। अब बात करते हैं नागपुर के राजा राघोजी की। राघोजी अपनी उम्र के 47वे वर्ष में अचानक स्वर्ग सिधार गए। राजा की दो पत्नियाँ थी रानी अन्नपूर्णाबाई और रानी बाँकाबाई किन्तु राजा को कोई सन्तान नहीं थी।नागपुर एक स्वतंत्र और बराबरी की सरकार थी। ऐसे राज्य का राजा निःसंतान मर गया। इसी बात का फायदा उठाकर अंग्रेजों ने नागपुर राज्य पर अधिग्रहण कर लिया। हालाँकि राघोजी के पश्चात उनकी पत्नी ने दो लड़के गोद लिए मगर अंग्रेजों ने उनकी नहीं सुनी और ना