इंदिरा गाँधी के पति फिरोज़ गाँधी या खान ?
सबसे पहले पाठकों को बता दे कि लेखक ने यह जानकारी दक्षिणी स्वीडन के पत्रकार व लेखक बर्टिल फाल्क की किताब फिरोज़ - दी फॉरगॉटन गाँधी एवं विकीपीडिया से प्राप्त की है ।
फिरोज़ गाँधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को मुम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर गाँधी तथा माता का नाम रतिमाई था। फिरोज़ के पिता जहांगीर गुजरात के भरोच प्रांत के कोटपारीवाड के रहने वाले थे। वे एक इन्जीनियर थे। जहांगीर गांधी के पिता इत्र बेचा करते थे, इत्र का अर्थ होता है गंध और इसीलिए गंध बेचने वालो को गांधी कहा जाने लगा।(जिस प्रकार नहर के किनारे रहने वाले कश्मीरी पंडितों को नेहरू कहा जाता है।) फिरोज व उनका परिवार पारसी धर्म के अनुयायी थे। (पारसी धर्म विश्व के प्राचीन धर्मों में से एक हैं। पारसी धर्म अवेस्ता नामक धर्म ग्रंथ पर आधारित है इसकी भाषा आवेस्तन है जो संस्कृत से मिलती है । इसके संस्थापक ज़रथुष्ट्र थे।) फिरोज़ एक पत्रकार एवं सांसद थे। 1920 में उनके पिता की मृत्यु के बाद वे अपने परिवार सहित अपनी मौसी के पास इलाहाबाद चले गए। इलाहाबाद से ही उन्होंने अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। फिरोज के कॉलेज के दिनों में ही 1930 मे इंदिरा नेहरू की माँ कमला नेहरू एक कॉलेज के बाहर धरना प्रदर्शन कर रही थी। फिरोज भी वहा मौजूद थे उसी दोरान अचानक से कमला जी की तबियत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गई। तभी फिरोज़ ने कमला जी को अस्पताल पहुंचाया और बहुत सेवा की। इसी के बाद फिरोज़ का नेहरू परिवार में आना जाना बढ़ गया। उसके बाद फिरोज़ व इंदिरा के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हो गया। यह बात जब फिरोज़ की माँ तक पहुंची तो वे गाँधी जी के पास गई और फिरोज़ को समझाने का कहने लगी। इसी बात को लेकर गाँधी जी ने फिरोज़ की माँ को आश्वासन दिया कि आप चिंता न करे आज से वह मेरा बेटा है। बाद में 1942 मे फिरोज और इंदिरा जी ने शादी कर ली। लेकिन शादी के कुछ सालो बाद ही दोनों मे आपसी मतभेद होने की वजह से इंदिरा गांधी अपने पिता के घर जाकर रहने लगी। इसके बाद 1959 मे दोनो मे सुलह हुई और 07 सितंबर 1960 में दिल का दोरा आने से फिरोज़ गाँधी की मृत्यु हो गई।
फिरोज़ गाँधी का जन्म 12 सितंबर 1912 को मुम्बई के एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर गाँधी तथा माता का नाम रतिमाई था। फिरोज़ के पिता जहांगीर गुजरात के भरोच प्रांत के कोटपारीवाड के रहने वाले थे। वे एक इन्जीनियर थे। जहांगीर गांधी के पिता इत्र बेचा करते थे, इत्र का अर्थ होता है गंध और इसीलिए गंध बेचने वालो को गांधी कहा जाने लगा।(जिस प्रकार नहर के किनारे रहने वाले कश्मीरी पंडितों को नेहरू कहा जाता है।) फिरोज व उनका परिवार पारसी धर्म के अनुयायी थे। (पारसी धर्म विश्व के प्राचीन धर्मों में से एक हैं। पारसी धर्म अवेस्ता नामक धर्म ग्रंथ पर आधारित है इसकी भाषा आवेस्तन है जो संस्कृत से मिलती है । इसके संस्थापक ज़रथुष्ट्र थे।) फिरोज़ एक पत्रकार एवं सांसद थे। 1920 में उनके पिता की मृत्यु के बाद वे अपने परिवार सहित अपनी मौसी के पास इलाहाबाद चले गए। इलाहाबाद से ही उन्होंने अपनी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। फिरोज के कॉलेज के दिनों में ही 1930 मे इंदिरा नेहरू की माँ कमला नेहरू एक कॉलेज के बाहर धरना प्रदर्शन कर रही थी। फिरोज भी वहा मौजूद थे उसी दोरान अचानक से कमला जी की तबियत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गई। तभी फिरोज़ ने कमला जी को अस्पताल पहुंचाया और बहुत सेवा की। इसी के बाद फिरोज़ का नेहरू परिवार में आना जाना बढ़ गया। उसके बाद फिरोज़ व इंदिरा के बीच प्रेम प्रसंग शुरू हो गया। यह बात जब फिरोज़ की माँ तक पहुंची तो वे गाँधी जी के पास गई और फिरोज़ को समझाने का कहने लगी। इसी बात को लेकर गाँधी जी ने फिरोज़ की माँ को आश्वासन दिया कि आप चिंता न करे आज से वह मेरा बेटा है। बाद में 1942 मे फिरोज और इंदिरा जी ने शादी कर ली। लेकिन शादी के कुछ सालो बाद ही दोनों मे आपसी मतभेद होने की वजह से इंदिरा गांधी अपने पिता के घर जाकर रहने लगी। इसके बाद 1959 मे दोनो मे सुलह हुई और 07 सितंबर 1960 में दिल का दोरा आने से फिरोज़ गाँधी की मृत्यु हो गई।
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