जानिए मोहनदास को महात्मा बनाने मे उनके बड़े भाई लक्ष्मीदास गाँधी का योगदान।
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को तो सभी जानते हैं लेकिन उनके बड़े भाई लक्ष्मीदास गाँधी के बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे। गाँधी जी को मोहनदास से महात्मा बनाने में लक्ष्मी दास गाँधी का बहुत बड़ा योगदान रहा । पिता की मृत्यु के बाद परिवार के खर्च व कार्यो की जिम्मेदारी लक्ष्मी भाई के कंधों पर आ गई थी। मोहनदास अभी छोटा था और अपनी पढ़ाई करना चाहता था। इसीलिए लक्ष्मी भाई ने कभी भी मोहनदास पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला। मोहनदास गाँधी जब कानून पढ़ने लंदन गए तो लक्ष्मी भाई ने न सिर्फ रुपये-पैसों का इंतजाम किया बल्कि अपनी ही समाज का विरोध भी झेला। समाज के लोगों का मानना था कि मोहनदास लंदन जाकर शराब व मांस का सेवन करने लगेगा। इसीलिए समाज ने मोहनदास को समाज से बेदखल कर दिया था। और समाज के वरिष्ठ लोगों ने आदेश दिया कि समाज का जो कोई भी व्यक्ति मोहनदास से किसी भी प्रकार का कोई भी संबंध रखेगा या मिलने की कोशिश करेगा उसे 1 रूपया 4 आना दंड स्वरुप देना होगा। समाज के विरोध के बावजूद उन्होंने मोहनदास को लंदन भेजा और बंबई तक छोड़ने भी आए। मोहनदास की शादी बचपन में ही हो गई थी और लंदन जाने से पहले ही उनके एक बेटा भी हो गया था। मोहनदास के लंदन जाने पर उनकी पत्नी व बच्चे का भी ध्यान लक्ष्मी भाई ने ही रखा। तीन साल बाद लंदन से लौटने पर हिंदुस्तानी कानून की प्रैक्टिस के लिए मोहनदास को बंबई जाना था उसके लिए भी लक्ष्मी भाई ने ही सारी व्यवस्था की और बंबई में रहने का इंतजाम करवाया। बंबई में काम नहीं चलने के कारण मोहनदास ने राजकोट जाने का निर्णय लिया। तो वहा भी लक्ष्मी भाई ने उनके पहुचने से पहले ही अपने वकील दोस्तों से बात कर उनके लिए सारी व्यवस्थाएं की। अपने उसूलों के कारण जब राजकोट में भी गाँधी जी काम नहीं कर सके तो लक्ष्मी भाई ने ही दादा अबदुल्ला के भाई अब्दुल्ला करीम जावेरी से मुलाकात कारवाई और दादा अबदुल्ला कम्पनी मे काम दिलवाया। अब चुकी दादा अबदुल्ला कम्पनी का काम दक्षिण अफ्रीका के नेटाल में चलता था तो मोहनदास को काम करने के लिए नेटाल जाना था। इस समय तक मोहनदास के एक और बेटा हो गया था और मोहनदास व उसके परिवार की जिम्मेदारी लक्ष्मी भाई पर ही थी। मोहनदास के दक्षिण अफ्रीका में 2 साल हो जाने तक लक्ष्मी भाई ने मोहनदास की पत्नी व बच्चों का खयाल रखा और उनके बड़े बेटे हरिदास को प्रारंभिक शिक्षा भी दी। मोहनदास के पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाने तक लक्ष्मी भाई ने उसकी हर सम्भव मदद की। दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद ही गाँधी जी का मोहनदास से महात्मा बनने का सफर शुरू हुआ। यहा तक कि जब गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में वहा रह रहे भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ रहे थे तो अपने बेटे तक को उन्हें सौप दिया। इसी प्रकार गाँधी जी के जीवन के कई बिंदुओं पर लक्ष्मी भाई ने उनका सहयोग व समर्थन किया। लक्ष्मी भाई ने गाँधी जी को मोहनदास से महात्मा बनाने में ऎसे ही कई योगदान दिए।
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